NCERT MCQ Solutions Class 7 Hindi Malhar Chapter 10 मीरा के पद (सत्र 2025-26) में विद्यार्थियों को भक्त कवयित्री मीरा के पदों का भावार्थ और संदेश सरल रूप में समझाया गया है। इस अध्याय का मुख्य विषय भगवान कृष्ण के प्रति गहन भक्ति, प्रेम और आत्मिक लगाव है। मीरा अपने पदों में कृष्ण को अपने नेत्रों में बसाने और सावन ऋतु में उनके आगमन की आहट से उमंगित हृदय का चित्रण करती हैं।
कक्षा 7 हिंदी मल्हार के प्रश्न-उत्तर
कक्षा 7 हिंदी मल्हार के MCQ
कक्षा 7 सभी विषयों के MCQ
मीरा के पद Class 7 Hindi Malhar Chapter 10 MCQ
Q1. मीरा के पहले पद में ‘नंदलाल’ किसे कहा गया है?
Q2. ‘मोहन सूरति साँवरि सूरति’ में ‘साँवरि’ का अर्थ क्या है?
Q3. ‘अधर सुधारस मुरली राजति’ में मुरली कहाँ शोभा पा रही है?
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 में पदों की विशेषताएँ
मीरा के पदों की सबसे बड़ी विशेषता उनका सरल और मधुर भाषा-शैली में लिखा जाना है। इनमें लोकभाषा के ऐसे शब्दों का प्रयोग हुआ है जो आमजन को तुरंत प्रभावित कर देते हैं। पदों में अलंकारिक सौंदर्य के साथ-साथ भावनात्मक गहराई स्पष्ट रूप से झलकती है। “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” में श्रीकृष्ण की मनोहारी छवि का अत्यंत आकर्षक चित्रण है, वहीं “बरसे बदरिया सावन की” में ऋतु-चित्रण के माध्यम से भक्ति की भावनाओं को प्रकट किया गया है। इन पदों में सहज भक्ति, संगीतात्मकता और कृष्ण-प्रेम का अद्वितीय संगम दिखाई देता है।
Q4. ‘उर वैजंती माल’ में वैजंती माला कहाँ है?
Q5. ‘क्षुद्र घंटिका कटितट सोभित’ में घंटिका कहाँ सुशोभित है?
Q6. ‘नूपुर सबद रसाल’ में नूपुर का अर्थ क्या है?
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 में दिए गए पदों का विषय-वस्तु
इस अध्याय का मुख्य विषय भगवान श्रीकृष्ण के प्रति मीरा की गहन भक्ति और आत्मिक समर्पण है। पहले पद में मीरा अपने नेत्रों में कृष्ण को बसाने की अभिलाषा प्रकट करती हैं। वे कृष्ण के सौंदर्य, वंशी-वादन और आभूषणों का चित्रण करती हैं। दूसरे पद में सावन ऋतु के माध्यम से कृष्ण के आगमन की आहट का वर्णन है। बदलते मौसम, बिजली की चमक, बूँदों की बरसात और शीतल पवन का चित्रण भक्तिपूर्ण वातावरण रचता है। यह सब मीरा के हृदय में आनंद और भक्ति-भावना को और प्रगाढ़ कर देता है।
Q7. पहले पद में मीरा ने कृष्ण को क्या कहा है?
Q9. ‘सावन में उमग्यो मेरो मनवा’ का क्या अर्थ है?
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 में दिए गए पदों से मिलने वाली शिक्षा
मीरा के पद हमें सिखाते हैं कि सच्ची भक्ति का अर्थ है ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और प्रेम। सांसारिक ऐश्वर्य और वैभव के बावजूद मीरा ने भक्ति-मार्ग चुना और कृष्ण को ही अपना सर्वस्व माना। इन पदों से यह शिक्षा मिलती है कि ईश्वर की भक्ति हमें आंतरिक शांति और आनंद देती है। भक्ति में किसी प्रकार का दिखावा या बाहरी आडंबर आवश्यक नहीं होता, बल्कि निर्मल मन, निष्कलुष प्रेम और श्रद्धा ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग है। मीरा की भक्ति आज भी समाज को प्रेरणा देती है।
Q11. ‘दामिन दमके झर लावन की’ में दामिन का अर्थ क्या है?
Q12. ‘नन्हीं नन्हीं बूँदन मेंहा बरसे’ में कैसी बारिश का वर्णन है?
कक्षा 7 हिंदी मल्हार अध्याय 10 का सारांश
अध्याय “मीरा के पद” में कवयित्री मीरा के भक्ति-रस से परिपूर्ण दो पद संकलित हैं। पहले पद में उन्होंने कृष्ण को अपने नेत्रों में बसाने की प्रार्थना की है और उनके सौंदर्य एवं आभूषणों का सुंदर वर्णन किया है। दूसरे पद में सावन ऋतु का मनोहारी चित्रण करते हुए हरि के आगमन की आहट से उमंगित मन की स्थिति दर्शाई है। इन पदों में कृष्ण-प्रेम, भक्ति और आस्था की गहराई प्रकट होती है। संपूर्ण अध्याय भक्तिरस, ऋतु-सौंदर्य और मीरा की आत्मिक तल्लीनता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।